Wed , Oct 08 2025
इस साल धनतेरस 2025 में 18 अक्टूबर, शनिवार को मनाई जाएगी. इस दिन पूजा और खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त शाम 05:48 बजे से रात 08:20 बजे तक रहेगा, खासकर यम-दीपदान के लिए यह समय उत्तम है. खरीदारी के अन्य शुभ मुहूर्त में शाम 04:13 बजे से 05:36 बजे तक और रात 07:14 बजे से 08:51 बजे तक शामिल हैं।
गाय को देवी लक्ष्मी का रूप मानना:
धनतेरस को माँ लक्ष्मी का स्वागत किया जाता है। गाय को भी लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है क्योंकि वह दूध, दही, घी, गोबर, और गोमूत्र जैसे पंचगव्य देती है, जो समृद्धि और पवित्रता के स्रोत धनतेरस के दिन गौ माता की पूजा करने की परंपरा का धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से गहरा महत्व है। इसके पीछे कई कारण और मान्यताएँ हैं:
⚫गौ माता का धार्मिक महत्व:
हिंदू धर्म में गाय को "माता" का स्थान दिया गया है। वह धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को प्राप्त करने में सहायक मानी जाती है। गाय में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास माना जाता है, इसलिए उसकी पूजा से समस्त देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।
धनतेरस के दिन गोधन की पूजा क्यों की जाती है?
1. गोधन = असली धन का प्रतीक
प्राचीन भारत में गाय, बैल, बकरी आदि पशुधन को "संपत्ति" (धन) माना जाता था। खासकर गाय, जो दूध देती है, खेत में काम आता है और जिसका गोबर भी ईंधन, खाद और पूजा में काम आता है उसे एक बहुमूल्य संपत्ति माना गया। इसलिए "धनतेरस" यानी धन के दिन, गोधन की पूजा करके असली और टिकाऊ धन का सम्मान किया जाता है।
कृषि में गोधन की भूमिका:भारत एक कृषिप्रधान देश है। गाय और बैल खेत जोतने, खाद देने और कृषि कार्यों में सदियों से सहायक रहे हैं। गोधन के बिना खेती की कल्पना ही नहीं की जा सकती थी। इसलिए धनतेरस के दिन गोधन की पूजा कर किसान उनके योगदान का आदर करते हैं और आने वाले कृषि चक्र के लिए आशीर्वाद मांगते हैं।
धनतेरस के दिन, प्रदोष काल (शाम के समय) में गोपूजन करना शुभ माना जाता है। सूर्यास्त के बाद 1-2 घंटे के अंदर करें।
हल्दी, रोली (कुमकुम)
अक्षत (चावल)
फूल (खासकर गेंदे के फूल)
गुड़ और हरा चारा (या रोटी)
धूप, दीपक, कपूर
जल से भरा लोटा
साड़ी या चुनरी (यदि गौ माता को पहनाना चाहें)
माला
नारियल (वैकल्पिक)
अगर घर की गाय हो तो उसे जल से स्नान कराएँ या गीले कपड़े से पोंछ लें।गाय को सुंदर रूप दें उसके सींगों और खुरों पर तेल लगाएँ। उसे फूलों की माला पहनाएँ और चुनरी ओढ़ाएँ।
गाय के माथे पर रोली और हल्दी से तिलक लगाएँ और अक्षत चढ़ाएँ।
गाय की तीन या सात बार परिक्रमा करें और प्रणाम करें।
अपने परिवार की सुख-समृद्धि, निरोगी काया और लक्ष्मी कृपा के लिए प्रार्थना करें।
"गावो विश्वस्य मातरः।"(अर्थ: गौ माता संपूर्ण विश्व की माता हैं।)
यदि अपने पास गाय नहीं है, तो आप किसी गौशाला जाकर गोपूजन कर सकते हैं।गो सेवा करना भी उतना ही पुण्य माना जाता है जितना गोपूजन।
इस दिन गाय के गोबर से बने दीपक भी जलाए जाते हैं।
🐄 गौ माता पूजन विधि शुभ समय:
सूर्योदय के बाद या संध्या के समय (धनतेरस पर प्रदोष काल)
किसी भी शुभ मुहूर्त या पंचांग के अनुसार
📜 आवश्यक सामग्री:
सामग्री उपयोग
जल से भरा लोटा अभिषेक के लिए
हल्दी, कुमकुम (रोली), चावल (अक्षत) तिलक व पूजन के लिए
फूल (गेंदे के या कोई भी) सजावट व पूजन
अगरबत्ती, धूप, कपूर, दीपक आरती हेतु
गुड़, रोटी, हरा चारा भोग
चुनरी या वस्त्र गौ माता को ओढ़ाने के लिए (वैकल्पिक)
फूलों की माला गौ माता को पहनाने के लिए
नारियल (वैकल्पिक) शुभता हेतु
जहाँ पूजन करना है, वहां सफाई करके गाय को खड़ा करें या बिठाएँ।
जल में थोड़ा गंगाजल मिलाकर गाय पर छिड़कें या पोंछें।
3. गाय को सजाएँ:
फूलों की माला पहनाएँ।
चुनरी ओढ़ाएँ (यदि संभव हो)।
पैरों में हल्दी लगाएँ।
गाय के माथे पर रोली, हल्दी और अक्षत से तिलक करें।साथ ही उसके बच्चों (बछड़े) को भी तिलक करें।
"गावो विश्वस्य मातरः।"
(अर्थ: गौएँ समस्त विश्व की माता हैं।)
कपूर या घी का दीपक जलाकर गौ माता की आरती करें।
"जय गौ माता की"
गुड़, रोटी, हरा चारा आदि गाय को प्रेमपूर्वक खिलाएँ।
गाय की 3 या 7 बार परिक्रमा करें।फिर हाथ जोड़कर प्रणाम करें और आशीर्वाद लें।
पूजा के बाद गाय की सेवा करना, उसे भोजन कराना, गोशाला में दान देना बहुत पुण्यकारी होता है।गोबर से दीपक बनाकर जलाएँ – यह बहुत शुभ और पवित्र माना जाता है।
गौ पूजन से धन, सुख, शांति, स्वास्थ्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है।माता लक्ष्मी और भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है।जीवन में ऋण, रोग और अकाल मृत्यु से रक्षा होती है।
Mani
18 Oct 25
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